About Us

The Chambal Museum was established on September 26, 2018, to commemorate the birthday of the eminent revolutionary journalist, Pandit Sunder Lal. The Museum is a bastion of preservation for the ideals that ignited the flames of the freedom movement. The organization’s primary objective is to spearhead investigation efforts and publications aimed at safeguarding our cherished folk traditions and ancestry while instilling curiosity in the upcoming generations.

The Chambal Museum continues to work hard to add to its collection of knowledge. In an era marked by social transformations, the danger of losing antiquities and heritage items looms large. Museums serve as sanctuaries for ancestral possessions, shielding them from oblivion and destruction. The Museum works hard to save important cultural and intellectual treasures that are scattered in the Chambal area.

Engaging in outreach efforts across the Chambal region, the Museum actively communicates with villagers, farmers, students, intellectuals, and all individuals who understand the need of preserving our cultural heritage. Within its walls, you will find rare documents, letters, gazetteers, manuscripts, postage stamps, coins, and an array of artefacts pertaining to the Chambal region.

The Chambal Museum, thriving with pride thanks to the region’s ongoing support and contribution. One of the main objectives of this Museum is to serve as a gathering place for scholars from both the local and global communities. Through its efforts, it keeps history alive and makes connections that go beyond borders, so the region’s legacy will last for generations to come.

चंबल संग्रहालय की स्थापना महान क्रांतिकारी पत्रकार पंडित सुंदरलाल के जन्मदिवस पर 26 सितंबर 2018 को हुई। इसका मकसद स्वतंत्रता आंदोलन को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शो और हमारी गौरवशाली लोक संस्कृति, परंपरा, विरासतों, धरोहरों के संरक्षण और नई पीढ़ी के चेतना निर्माण के लिए शोध, अनुसंधान, प्रकाशन हो सके। चंबल संग्रहालय के लिए और भी शोध सामग्री की तलाश और खोज निरंतर जारी है। बदलते समाज के साथ पुरानी वस्तुओं और धरोहर की चीजों के नष्ट होने का खतरा बढ़ गया है। संग्रहालय वह स्थान होते हैं जहाँ आप अपने पुरखों की चीजों को संग्रहीत कर सकते हैं। वे नष्ट होने व खो जाने से बचाई जा सकती हैं। संग्रहालय समाज में बिखरे अमूल्य ज्ञान स्रोत सामग्री सहेजने के मिशन में जुटा है, जहां से भी सांस्कृतिक व बौद्धिक संपदा मिलने की रोशनी दिखती है। संग्रहालय चंबल अंचल के तमाम गाँवों और वहाँ के निवासियों, किसानों, छात्रों, बुद्धिजीवियों व अन्य सभी सुधिजनों से लगातार संपर्क कर रहा है।

चंबल अंचल और स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े दुर्लभ दस्तावेज, पत्र, गजेटियर, हाथ से लिखा कोई पुर्जा, डाक टिकट, सिक्के, स्मृति चिन्ह, समाचार पत्र, पत्रिका, पुस्तकें, तस्वीरें, वीडियो, पुरस्कार, सामग्री-निशानी, अभिनंदन ग्रंथ, पांडुलिपि आदि ऐतिहासिक महत्व की सामग्री संरक्षित रखी गई है। समाज द्वारा दिये जा रहे निरंतर ज्ञानकोष से चंबल संग्रहालय समृद्ध और गौरवांवित होने के साथ देश-विदेश के शोधार्थियों के बीच एक सेतु का निर्माण कर रहा है।